बिलासपुर. ए. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने रायपुर में अपराधियों को संरक्षण देने तथा संगठित अपराध के पीछे पुलिस की भूमिका होने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली है। न्यायमूर्ति आर सी सामंत की एकलपीठ ने रायपुर के शेख जुल्फिकार की याचिका पर राज्य सरकार सहित अन्य को आज नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। याचिका में गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, रायपुर के पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, कोतवाली थाना प्रभारी तथा पांच पुलिस अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया है। अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में बताया है कि मां के इलाज के लिए लोन पर खरीदी गई कार को इकरार नामे के साथ बेचने के बाद पैसे नहीं देने के बाद उससे मारपीट की गई। फाइनेंस कंपनी द्वारा गाड़ी ले जाने के बाद उससे दो दिनों तक मारपीट की गई। थाने में शिकायत दर्ज नहीं की गई, वहीं पुलिस अधीक्षक ने भी उसको भगा दिया। याचिका में बताया गया है कि पुलिस महानिरीक्षक जीपी सिंह के निर्देश के बाद पुलिस ने गैरजमानती धाराओं के साथ रिपोर्ट दर्ज करने के बाद भी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया। बल्कि याचिकाकर्ता को एक पुलिस अधिकारी के नाम से रिपोर्ट वापस लेने की धमकी दी गई। याचिका में उससे तथा उसके पक्ष में गवाही देने वालों के साथ मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी जा रही है । उसे सुरक्षा उपलब्ध कराने, आरोपियों को गिरफ्तार करने तथा संगठित अपराध को संरक्षण देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एनआईए से जांच की मांग की गई है।
पुलिस पर आपराधिक गिरोहों को संरक्षण देने वाली याचिका पर उच्च न्यायालय का नोटिस
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2017-07-04
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